
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

हमारा उदेश्य गायत्री मंत्र एवं गुरु जी युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों को जनसाधारण में फैलाना है।
एक संत, युगपुरुष, दृष्टा, सुधारक आचार्य श्रीराम शर्मा जिन्होंने युगनिर्माण योजना का सूत्रपात किया। जिन्होंने जप, तप और साधना के अंतर्गत अनुशाषित जीवन जीते हुए आध्यात्मिक श्रेष्ठता को प्राप्त कर समस्त मानवता को प्रेरित किया। बदलते समय के अनुसार हमारे दृष्टिकोण और विचारों को बदलने तथा संवेदनशीलता का विस्तार करने के लिए सत्य साहित्य का सृजन किया। सत्य, प्रेम और न्याय पर आधारित, विवेक और तर्क से प्रभावित विचार पद्धति का मूल्य सिखाया। विलुप्त हो रही गायत्री महाविद्या, उसकी महत्ता कर शक्ति को जनमानस में फैलाया और कहा :
"अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है."

पंडित रमेश चंद्र शुक्ल
पंडित रमेश चंद्र शुक्ल, आचार्य श्रीराम शर्मा के सर्वप्रथम शिष्यों में से एक है. अपने गुरु के साथ इन्होने पुरे भारतवर्ष में गायत्री शक्तिपीठों की स्थापना की और गायत्री मंत्र एवं अपने गुरु के विचारों को जनसाधारण में फैलाया। इन्ही की तपशक्ति और गुरुदेव की प्रेरणा से अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल की स्थापना हुई, जहाँ से प्रत्येक वर्ष ६५००० से भी अधिक रोगियों को नेत्र ज्योति नि:शुल्क मिलती है और ग्रामीण क्षेत्र की १०० से ज्यादा बच्चियों को उच्च शिक्षा नि:शुल्क प्राप्त हो रही है.
आध्यात्मिक ज्ञान


